Friday, December 27, 2024
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Atal Bihari Vajpayee के 5 बड़े फैसले, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री Atal Bihari Vajpayee की 100वीं जयंती पर उन्हें याद करते हुए, हम उनके द्वारा लिए गए उन ऐतिहासिक फैसलों को याद कर सकते हैं, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और उसे मजबूती प्रदान की। हालांकि अटल जी केवल पांच साल तक प्रधानमंत्री रहे, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान उठाए गए ।

Atal Bihari Vajpayee के फैसले भारत की विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उनकी दूरदर्शिता और नीतियों ने न केवल देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया, बल्कि भारतीय समाज को एक नई दिशा भी दी। यहां हम उनके पांच सबसे बड़े फैसलों की बात करेंगे, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण लाभ हुआ।आइए जानते हैं उनके कुछ ऐसे प्रमुख फैसलों के बारे में, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की:

1. How Gold Quadrilateral Boosted India’s Economy.

वाजपेयी सरकार द्वारा शुरू किया गया गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल हाईवे प्रोजेक्ट भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी सड़कों के निर्माण परियोजनाओं में से एक था। इस परियोजना ने भारत के प्रमुख शहरों को एक दूसरे से जोड़ने का काम किया और देशभर में सड़कों के जाल को फैलाया।इस प्रोजेक्ट के तहत 5,846 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई गईं, जो ना केवल यातायात की गति बढ़ाने में मदद करती हैं, बल्कि व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों को भी सशक्त बनाती हैं। इससे देश में परिवहन लागत घटे और विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास हुआ।

इस प्रोजेक्ट के तहत 5,846 किलोमीटर लंबा नेटवर्क तैयार किया गया, जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों को जोड़ता है। इसके अलावा, अहमदाबाद, जयपुर, विजयवाड़ा, और कोलकाता जैसे आर्थिक केंद्र भी इससे जुड़े। इसका सीधा प्रभाव भारतीय व्यापार और उद्योगों पर पड़ा। सड़कों के सुगम हो जाने से परिवहन सस्ता और तेज हुआ, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया उत्साह मिला।

2. Telecom Reform’s Atal Bihari Vajpayee

वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी लागू की गई, जो भारतीय टेलीकॉम सेक्टर का नया रूप तय करने वाली थी। इस नीति ने सरकारी कंपनियों के एकाधिकार को खत्म किया और निजी कंपनियों को इस क्षेत्र में प्रवेश करने का अवसर दिया। इससे टेलीकॉम क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ी और कॉल दरें काफी कम हो गईं। इसके अलावा, भारत में हर घर तक मोबाइल सेवाएं पहुंची, जिससे संचार क्षेत्र में क्रांति आ गई। टेलीकॉम रिफॉर्म्स ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया, बल्कि इसे दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सस्ते मोबाइल नेटवर्क में से एक बना दिया।यह सुधार भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल युग में प्रवेश दिलाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ और संचार क्रांति को जन्म दिया।

3. Its Economic Impact

वाजपेयी सरकार के कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) का निजीकरण एक अहम कदम था। अरुण शौरी के नेतृत्व में सरकार ने कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को निजी कंपनियों को बेच दिया। इसमें मारुति उद्योग, भारत एल्युमीनियम, हिंदुस्तान जिंक और भारत पेट्रोकेमिकल्स जैसी कंपनियां शामिल थीं।

यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हुआ, क्योंकि इससे सरकारी खजाने में अतिरिक्त आय आई और निजी कंपनियों को आगे बढ़ने का अवसर मिला। वाजपेयी के इस कदम को भारतीय निजीकरण के स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है, जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया।इन कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने से सरकारी खजाने में वृद्धि हुई और औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहन मिला। इस फैसले से भारतीय व्यापार जगत में प्रतिस्पर्धा बढ़ी और आर्थिक विकास को एक नया दिशा मिली।

Atal Bihari Vajpayee

4. पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर नियंत्रण तंत्र को समाप्त करना

वाजपेयी सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य निर्धारण के लिए प्रशासनिक तंत्र (APM) को समाप्त कर दिया। यह प्रणाली 1970 के दशक से चली आ रही थी, जिसमें सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों का निर्धारण किया जाता था।2002 में इस तंत्र को समाप्त कर दिया गया और पेट्रोल और डीजल की कीमतों को बाजार आधारित बनाया गया। इससे पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें अधिक प्रतिस्पर्धी हो गईं और भारतीय उपभोक्ताओं को अधिक पारदर्शिता मिली। इस फैसले ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार किया और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

5. एफआरबीएम अधिनियम (Fiscal Responsibility and Budget Management Act)

  • वाजपेयी सरकार ने 2003 में Fiscal Responsibility and Budget Management (FRBM) अधिनियम लागू किया,
  • जिसका मुख्य उद्देश्य भारत के राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना था।
  • इस अधिनियम के तहत, सरकार ने अपने वित्तीय प्रबंधन को पारदर्शी,जिम्मेदार बनाने की दिशा में कदम उठाए।
  • इसके परिणामस्वरूप, भारत का राजकोषीय घाटा 3% के भीतर रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
  • यह कानून सरकार को राजकोषीय स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है और वित्तीय उत्तरदायित्व को बढ़ावा देता है।
  • इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिली और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा।

Conclusion:

वाजपेयी के नेतृत्व में लिए गए इन फैसलों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को न केवल मजबूती दी, बल्कि उसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बना दिया। उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण और नीतिगत सुधारों ने भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत किया, जिसके लाभ हम आज भी देख रहे हैं। उनकी जयंती पर हम उन्हें नमन करते हुए, उनके योगदान को याद करते हैं, जो भारत के समृद्ध और सशक्त भविष्य की नींव बने।

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